साइक्लोन मोंथा के तूफानी रूप ने आंध्र प्रदेश के तट पर जब धमाकेदार लैंडफॉल किया, तो उसकी छाया दूर तक फैल गई — राजस्थान के बुंदी में 24 घंटे में 130 मिमी बारिश हुई, जबकि कोटा में 69 मिमी। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 27 अक्टूबर, 2025 को नई दिल्ली से जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में चेतावनी दी कि यह तूफान एक ‘गंभीर चक्रवात’ में बदल चुका है, और इसके बाद के दिनों में देश के कई हिस्सों में अत्यधिक वर्षा का खतरा बना हुआ है। यह सिर्फ एक बारिश की बात नहीं है — यह जीवन, खेती और बुनियादी ढांचे के लिए एक बड़ी आपात स्थिति है।

साइक्लोन मोंथा का रास्ता: तट से दूर तक पहुंच

28 अक्टूबर की शाम को, साइक्लोन मोंथा ने मच्छलीपटनम और कलिंगपट्टनम के बीच, काकीनाडा के पास लैंडफॉल किया। हवाओं की गति 90-100 किमी/घंटा थी, और तीव्र गुस्से में यह 110 किमी/घंटा तक पहुंच गई। आंध्र प्रदेश में एक मौत हो गई, जबकि मच्छलीपटनम के खेत जलमग्न हो गए। लेकिन यहां तक नहीं — IMD के अनुसार, तूफान का असर बंगाल की खाड़ी से दूर, राजस्थान तक पहुंच गया। बुंदी में एक दिन में 130 मिमी बारिश होना दुर्लभ है। यह उस जगह के लिए अभूतपूर्व है जहां आमतौर पर बारिश कम होती है।

राजस्थान के लिए अप्रत्याशित बारिश: बुंदी और कोटा की तस्वीर

राजस्थान में बारिश का मौसम अक्सर जून-सितंबर के बीच रहता है। लेकिन अब अक्टूबर के अंत में, बुंदी ने अपने इतिहास का एक नया अध्याय लिखा। 130 मिमी की बारिश का मतलब है — एक दिन में तीन से चार गुना औसत मासिक बारिश। कोटा में 69 मिमी बारिश ने शहर के कई हिस्सों में जलभराव की स्थिति पैदा कर दी। इम्ड के मुताबिक, यह बारिश साइक्लोन मोंथा के बाद उत्पन्न उत्तर-पश्चिमी धाराओं के कारण हुई, जो बंगाल की खाड़ी से ले जाए गए नमी को राजस्थान की ओर धकेल रही थीं।

आपातकालीन तैयारियां: NDRF, उड़ानें रद्द, स्कूल बंद

आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम, अनाकापल्ली और पश्चिमी गोदावरी जिलों में दो दिनों के लिए स्कूल बंद कर दिए गए। एयर इंडिया ने दिल्ली-विशाखापत्तनम के दो उड़ानें — AI 419/420 और AI 1702/1802 — रद्द कर दीं। 11 NDRF और 12 SDRF टीमें तैनात की गईं, जिनके पास नावें, बचाव जैकेट और आपातकालीन चिकित्सा सुविधाएं थीं। मरीना बीच, चेन्नई में मछुआरे अपनी नावें सुरक्षित स्थानों पर बांध चुके थे। जहां तक संभव था, लोगों को समुद्र से दूर रहने की सलाह दी गई।

अगले दिनों का खतरा: ओडिशा, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की स्थिति

IMD का अनुमान है कि बारिश अगले दिनों तक जारी रहेगी। ओडिशा के रायगढ़ और तमिलनाडु के रायलसीमा क्षेत्र में 27-29 अक्टूबर के बीच भारी से अत्यधिक बारिश की उम्मीद है। छत्तीसगढ़ में 28 अक्टूबर को तेज बारिश का खतरा है। महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में 28 से 30 अक्टूबर तक मध्यम से भारी बारिश का अनुमान है। इसके अलावा, महाराष्ट्र में अगले चार दिनों तक बिजली के साथ तूफानी बारिश की संभावना है।

क्या है IMD की चेतावनी की वास्तविकता?

क्या है IMD की चेतावनी की वास्तविकता?

IMD ने अपनी विज्ञप्ति में स्पष्ट किया है कि जितना लंबा समय आगे की भविष्यवाणी की जाती है, उतनी ही उसकी सटीकता कम हो जाती है। इसलिए, ओरेंज और रेड चेतावनियां जो अभी जारी की गई हैं, वे अत्यधिक गंभीर हैं। राज्य सरकारों को अपने आपातकालीन योजनाओं को अपडेट करने का निर्देश दिया गया है। खासकर बुनियादी ढांचे जैसे सड़कें, बिजली के खंभे और जल निकासी प्रणाली को तैयार करना जरूरी है। अगर ये नहीं हुए, तो भारी बारिश के बाद बाढ़ और भूस्खलन का खतरा बढ़ जाएगा।

क्यों यह घटना राजस्थान के लिए अहम है?

राजस्थान में बारिश के लिए जमीन और जल संसाधनों की कमी हमेशा से एक बड़ी समस्या रही है। बुंदी में इतनी तेज बारिश एक अवसर हो सकती है — जल भंडारों को भरने का। लेकिन इसके साथ ही खतरा भी है। अगर बारिश अचानक हो और जल निकासी न हो, तो यह बाढ़ बन सकती है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि राजस्थान के कई क्षेत्र अभी तक अपने जल संरक्षण प्रणालियों को मजबूत नहीं कर पाए हैं। इस बारिश के बाद यह एक अवसर है — जल संग्रहण और भूजल पुनर्भरण के लिए नई योजनाओं को तेजी से लागू करने का।

अगला कदम: क्या अब होगा?

IMD ने अगले 72 घंटों के लिए अपनी निगरानी बरकरार रखी है। राजस्थान, ओडिशा और महाराष्ट्र के राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अब बारिश के बाद आम जनता के लिए जल स्वास्थ्य और स्वास्थ्य जोखिमों पर ध्यान दे रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर इन इलाकों में जल संक्रमित रोगों का प्रकोप होता है, तो इसका असर अगले तीन सप्ताह तक रह सकता है। अगले दो दिनों में राज्य सरकारें अपने जल संसाधन निदेशालयों को बारिश के आंकड़ों के आधार पर जल भंडारण योजनाओं को अपडेट करने का निर्देश देंगी।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बुंदी में 130 मिमी बारिश का मतलब क्या है?

बुंदी में 130 मिमी बारिश का मतलब है कि एक दिन में यहां औसतन एक महीने की बारिश बरस गई। यह आमतौर पर मानसून के दौरान होता है, लेकिन अक्टूबर के अंत में ऐसा होना असामान्य है। इसका मतलब है कि जमीन और नहरें इस बारिश को अभी तक नहीं संभाल पाईं, जिससे जलभराव और सड़कों के नुकसान का खतरा है।

साइक्लोन मोंथा राजस्थान तक कैसे पहुंचा?

साइक्लोन मोंथा के बाद बंगाल की खाड़ी से नमी के साथ उत्तर-पश्चिमी हवाएं चलीं। ये हवाएं राजस्थान के दक्षिणी हिस्सों तक पहुंचीं और वहां की ठंडी हवाओं के साथ मिलकर भारी बारिश का कारण बनीं। यह तकनीकी रूप से ‘अतिरिक्त आर्द्रता धारा’ कहलाती है, जो तूफान के बाद भी लंबे समय तक बनी रहती है।

इम्ड की चेतावनियां कितनी भरोसेमंद हैं?

IMD की भविष्यवाणियां आमतौर पर 48-72 घंटे के लिए बहुत सटीक होती हैं। लेकिन 5 दिन से अधिक के लिए उनकी सटीकता कम हो जाती है। इसलिए ओरेंज और रेड चेतावनियां अत्यधिक गंभीर हैं — ये आपातकालीन तैयारियों के लिए जरूरी हैं। लोगों को इन पर भरोसा करना चाहिए, लेकिन अत्यधिक आशावादी नहीं बनना चाहिए।

क्या यह बारिश राजस्थान के जल संकट को कम करेगी?

अगर यह बारिश लगातार और धीरे-धीरे होती, तो यह जल भंडारों को भरने में मदद कर सकती। लेकिन अचानक और तेज बारिश के कारण ज्यादातर पानी बह जाता है। इसलिए इसका लंबे समय तक फायदा नहीं होगा, जब तक कि जल संग्रहण व्यवस्था नहीं बनाई जाती। बुंदी में इस बारिश के बाद जल संरक्षण योजनाओं को तुरंत शुरू करने की जरूरत है।