क्या बदला: GST 2.0 के नए स्लैब और उनके सीधे असर
कार खरीदने का सही वक्त आ गया है। 56वीं GST परिषद की बैठक के बाद पैसेंजर वाहनों पर टैक्स ढांचा बदल गया है और कई लोकप्रिय मॉडलों की कीमतें लगभग ₹90,000 से लेकर ₹2.4 लाख तक नीचे आ गई हैं। बदलाव 22 सितंबर 2025 से लागू हैं, और कई कंपनियों ने तुरंत नए प्राइस पास-ऑन भी कर दिए हैं। इस GST rate cut का असर एंट्री-लेवल हैचबैक से लेकर बड़े SUVs और हाइब्रिड तक दिख रहा है।
छोटी कारों के लिए नया नियम साफ है: पेट्रोल और हाइब्रिड मॉडल जिनकी इंजन कैपेसिटी 1,200cc तक और लंबाई 4,000mm तक है, अब 28% की जगह 18% GST के दायरे में हैं। डीज़ल कारों के लिए यही सीमा 1,500cc और 4,000mm तय है। LPG और CNG वेरिएंट भी इसी कैटेगरी में आते हैं। नतीजा—एंट्री और सब-4 मीटर सेगमेंट की कारें सीधे सस्ती। Maruti Swift, Tata Punch, Hyundai Grand i10 Nios, Hyundai Exter और सब-4 मीटर SUVs का पूरा ग्रुप इसके दायरे में है। मुंबई में Tata Punch का टॉप मॉडल ₹11.95 लाख से घटकर ₹10.75 लाख हो गया—सीधे करीब ₹1.2 लाख की बचत।
बड़े वाहनों के लिए सरकार ने पुराना जटिल ढांचा (28% GST + अलग-अलग सेस) हटाकर 40% का फ्लैट रेट कर दिया है। पहले कई SUVs पर सेस 22% तक जाता था, जिससे कुल टैक्स 50% तक हो जाता था। अब 40% फ्लैट से कीमतें नेट तौर पर नीचे आई हैं। यही वजह है कि Hyundai Creta में करीब ₹90,000 तक की कटौती दिख रही है, जबकि Mahindra XUV700 पर ₹2 लाख से ज्यादा तक की बचत निकल रही है।
कंपनियां इस राहत को तेजी से ग्राहकों तक पहुंचा रही हैं। Mahindra & Mahindra ने तो 6 सितंबर 2025 से ही कटौती लागू कर दी: Bolero पर करीब ₹1.27 लाख, Scorpio पर ₹1.45 लाख, Thar Roxx पर ₹1.33 लाख और XUV700 पर ₹1.43 लाख तक कमी; कुछ वेरिएंट में अधिकतम ₹1.56 लाख तक का फायदा। Hyundai ने भी अपनी रेंज में 11% (सब-4m पेट्रोल) से 13% (सब-4m डीज़ल) तक कमी दिखाई, और Tucson जैसे फ्लैगशिप SUV पर लगभग ₹2.4 लाख तक बचत ऑफर की। Tata, Toyota, Renault, Škoda, Audi, Mercedes-Benz और Maruti Suzuki ने भी संशोधित कीमतें जारी करना शुरू कर दिया है।
हाइब्रिड सेगमेंट असली विनर बनकर उभरा है। पहले स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड जैसे Toyota Urban Cruiser Hyryder और Maruti Grand Vitara पर कुल टैक्स बोझ लगभग 43% तक जाता था। अब ये सीधे 18% GST स्लैब में हैं। टेक्नोलॉजी-कॉस्ट वैसे ही ऊंची होती है; टैक्स कटने से इन मॉडलों की ऑन-रोड कीमत अब पहले से काफी कंपीटिटिव दिखेगी—खासकर उन खरीदारों के लिए जो पेट्रोल की बचत और ऑटोमैटिक कम्फर्ट साथ चाहते हैं।
इलेक्ट्रिक वाहनों की पोजीशन बरकरार है—EVs पर 5% GST पहले से ही लागू था और वही रहेगा। यानी EV सेगमेंट टैक्स के लिहाज से सबसे सस्ता ऑप्शन बना हुआ है। दूसरी तरफ, 4 मीटर से लंबी और बड़े इंजन (पेट्रोल 1,200cc से ऊपर या डीज़ल 1,500cc से ऊपर) वाली लग्जरी कारें/बड़े SUVs और 350cc से ऊपर की मोटरसाइकिलें अब 40% फ्लैट रेट में आती हैं। ध्यान रहे, सभी मॉडलों में कटौती एक-सी नहीं होगी—किस पर पहले कितना सेस लगता था, उसी हिसाब से नेट कमी निकलेगी।
ऑटो पार्ट्स पर भी बड़ा बदलाव आया है—अब ज्यादातर कंपोनेंट्स पर 18% का स्टैंडर्ड रेट रहेगा। अलग-अलग HS कोड्स की वजह से पार्ट-बाय-पार्ट टैक्स में जो उलझन और असमानता थी, वह काफी हद तक खत्म होगी। सप्लाई चेन सरल होने से मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसिंग की लागत भी नियंत्रित रह सकती है, जिसका लंबी अवधि में असर स्पेयर्स और मेंटेनेंस बिल पर दिख सकता है।
कृषि उपकरणों के लिए राहत और गहरी है—ट्रैक्टर्स और खेती के कई औजारों पर GST 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। इसमें मिट्टी तैयार करने वाली मशीनें, हार्वेस्टर, थ्रेशर, फॉडर बैलर, ग्रास सीडर, हे मूवर, कम्पोस्टर जैसी मशीनरी शामिल है। इस कटौती का असर ग्रामीण अर्थव्यवस्था और एग्री-मैकेनाइजेशन की रफ्तार पर सकारात्मक पड़ सकता है।

खरीदारों के लिए सीधे फायदे, और क्या ध्यान रखें
नई दरें एक्स-शोरूम कीमत पर लागू होती हैं। ऑन-रोड प्राइस में रोड टैक्स, रजिस्ट्रेशन, इंश्योरेंस और अन्य चार्जेज भी होते हैं—जो आमतौर पर एक्स-शोरूम का प्रतिशत होते हैं। इसलिए एक्स-शोरूम घटने से ऑन-रोड भी नीचे आता है। राज्य-दर-राज्य रोड टैक्स अलग है, तो आपका वास्तविक फायदा आपके शहर और वेरिएंट के हिसाब से थोड़ा बदलेगा।
बुकिंग और डिलीवरी की टाइमिंग भी मायने रखती है। आम तौर पर इनवॉइस की तारीख के हिसाब से GST लागू होता है—यानी आपने पहले बुकिंग की थी, पर इनवॉइस 22 सितंबर या उसके बाद बना, तो आपको नई दरों का फायदा मिलना चाहिए। जो खरीदार डिलीवरी की कगार पर हैं, वे डीलर से अपडेटेड प्राइस-ब्रेकअप लिखित में लें।
फेस्टिव सीजन शुरू होते ही फुटफॉल बढ़ता है, और अब कीमतें घटने से वेटिंग पीरियड्स में उतार-चढ़ाव संभव है—पॉपुलर ट्रिम्स पर डिमांड तेज हो सकती है। दूसरी तरफ, जिन डीलरों के पास पुराने टैक्स ढांचे पर बिला हुआ स्टॉक है, वहां ट्रांजिशन मैनेजमेंट कुछ दिनों ले सकता है। कई कंपनियां पहले ही नई एक्स-शोरूम लिस्टें जारी कर चुकी हैं, तो वेरिएंट-वार अपडेट देखना जरूरी है।
- किसे सबसे ज्यादा फायदा: सब-4 मीटर पेट्रोल/डीज़ल और हाइब्रिड—कई मॉडलों में डबल-डिजिट प्रतिशत बचत तक।
- कितनी बचत: उदाहरण के लिए Creta में ~₹90,000, XUV700 में ₹2 लाख+, Tucson में ~₹2.4 लाख की कमी रिपोर्टेड है; Tata Punch टॉप वेरिएंट में ~₹1.2 लाख (मुंबई) का फर्क।
- EMI पर असर: ऑन-रोड घटने से लोन अमाउंट कम होगा; 5 साल की फाइनेंसिंग में लाख रुपए की कमी से मासिक किस्त में मोटे तौर पर दो-ढाई हजार तक राहत आ सकती है (दरें और टेन्योर के हिसाब से)।
- बिग SUVs/बाइक्स: 40% फ्लैट रेट—पहले सेस ज्यादा था तो नेट कीमत नीचे, कम था तो गिरावट सीमित रहेगी।
- स्पेयर्स/सर्विस: ऑटो पार्ट्स पर 18% स्टैंडर्ड रेट—लॉजिस्टिक्स और कंप्लायंस में सफाई, लागत स्थिर रहने की उम्मीद।
मार्केट सिग्नल साफ हैं—सबसे ज्यादा मूवमेंट छोटे कार सेगमेंट और किफायती SUVs में दिखेगा। हाइब्रिड अब प्राइसिंग के लिहाज से ज्यादा आकर्षक हो गए हैं, जबकि EVs टैक्स एडवांटेज के साथ अपना अलग स्पेस बनाए हुए हैं। अगर आप नई कार के लिए सोच रहे थे, तो यह विंडो आपके बजट, EMI और वेरिएंट चॉइस—तीनों को बेहतर कर सकती है।
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