जब अर्जुन जैन, प्रधानाध्यापक सरस्वती विद्या मंडिर इंटर कॉलेज ने इस साल की दुर्गाअष्टमी की घोषणा की, तो छात्र‑छात्राओं ने उत्साह से भरपूर सांस्कृतिक कार्यक्रम तैयार किया। 30 सितंबर 2025 को विद्यालय के प्रांगण में महागौरी स्वरूप में माँ दुर्गा की पूजा, कन्या पूजन और दशहरा के रंगीन समारोह हुए, जिससे छोटे‑बड़े सभी का मन प्रसन्न हो गया। इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य शारीरिक‑आध्यात्मिक शुद्धि के साथ भारतीय परम्परा के जश्न को फिर से जीवंत करना था।

तिथियों की पुष्टि और पंचांग की भूमिका

दुर्गाअष्टमी 2025 की तिथि को विभिन्न पंचांगों में अलग‑अलग बताया गया था। ड्रिक पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 29 सितंबर सोमवार को 16:31 बजे शुरू होकर 30 सितंबर मंगलवार को 18:06 बजे समाप्त हुई, अर्थात् ‘उदयतिथि’ के सिद्धांत से प्रतिफलित होकर 30 सितंबर को ही श्रावण (अष्टमी) मनाया गया। वैकल्पिक रूप से, मिथिला पंचांग ने अष्टमी को 30 सितंबर को दोपहर 12:37 बजे से 1:54 बजे तक बताया। इन दो गणनाओं के बीच छोटे‑छोटे अंतर ने स्थानीय विद्वानों को चर्चा के कगार पर ला दिया, पर अंततः स्कूल प्रशासन ने ड्रिक पंचांग को आधिकारिक माना।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का रंगीन खजाना

विद्यालय के मुख्य प्रांगण को रंग‑बिरंगी पंडालों, झांकियों और दीपों से सजाया गया। छात्रों ने नृत्य, नाटक, काव्य पाठ और संगीत के मिश्रण से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर लिया। मोहड्डीनगर में आयोजित दांडीया समूह ने 150 से अधिक प्रतिभागियों के साथ झूमें, जबकि मशकरह दुर्गाबरी में सैकड़ों बच्चों ने फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में भाग लिया। शाम के समय घज़ाल‑भजन सत्र में मधुर स्वर सुनाई दिए, जिससे माहौल आध्यात्मिक एवं उत्सवपूर्ण दोनों बना रहा।

विद्यापीठ के बगल में स्थित बुधनाथ मंदिर में शहनाई वादकों ने भक्ति संगीत प्रस्तुत किया, और महिला समूहों ने सामूहिक आरती में भाग लिया, जिससे बड़े‑छोटे सभी में श्रद्धा की लहर दौड़ गई। “यह आयोजन हमारी सांस्कृतिक जड़ों को नवीनीकृत करने का एक अवसर है,” एक छात्रा ने कहा, “और हमें अपनी परम्पराओं से जुड़ने का एहसास दिलाता है।”

धार्मिक महत्व और आध्यात्मिक आशा

महागौरी, माँ दुर्गा का आठवाँ रूप, शुद्धता, शांति और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि यह शिवाय और बंधन का प्रतीक है, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। विश्वासियों का मानना है कि महागौरी की पूजा करने से घर में सुख‑समृद्धि आती है और कष्टदायक समस्याएँ घटती हैं। इस वर्ष के कार्यक्रम में विशेष रूप से कन्या पूजन को प्रमुखता मिली; युवा लड़कियों को देवी के स्वरूप में सम्मानित किया गया, जिससे उनके आत्मविश्वास में वृद्धि हुई।

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष दुर्गाअष्टमी में कुल 2,345 विद्यार्थी‑सहभागी और 780 अभिभावक ने भाग लिया, जबकि बाहरी दर्शकों की संख्या लगभग 1,200 तक गढ़ी गई। यह सांख्यिकीय डेटा दर्शाता है कि पारंपरिक त्यौहारों में सामाजिक सामुदायिक भागीदारी की पुनर्स्थापना हो रही है।

भविष्य के लिए तैयारियों का खाका

प्रमुख अधिकारी, डॉ. अजय गुप्ता, इतिहास विभाग के प्रमुख, ने बताया कि अगली साल के के लिए और भी विस्तृत कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है, जिसमें डिजिटल पंडाल, वर्चुअल आरती लाइवस्ट्रीम और ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष ग्रामीण शिक्षा कार्यशालाएँ शामिल होंगी। “हम चाहते हैं कि यह त्यौहार न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण जनजाता तक भी पहुँचे,” उन्होंने कहा।

साथ ही, विद्यालय ने आगे के दशहरा कार्यक्रम में पारम्परिक ‘रावण दहन’ को पर्यावरण‑अनुकूल तरीकों से करने की योजना बनाई है, जिससे प्रदूषण को कम किया जा सके। यह पहल स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर ‘हरित दशहरा’ मिशन के तहत लागू होगी।

समग्र प्रभाव और सामाजिक जुड़ाव

दुर्गाअष्टमी और दशहरा का यह संयुक्त उत्सव न केवल धार्मिक भावना को सुदृढ़ करता है, बल्कि सामाजिक एकता, सांस्कृतिक पहचान और शैक्षिक अभिवृद्धि को भी उत्प्रेरित करता है। इस तरह के बड़े‑पैमाने के कार्यक्रमों से स्थानीय व्यवसायों को भी लाभ मिलता है; पंडाल निर्माण, सजावट, खाद्य सामग्री और संगीत उपकरण की खरीदारी से लगभग 5 लाख रुपये का अतिरिक्त आर्थिक योगदान हुआ।

अंततः, इस आयोजन से यह स्पष्ट हुआ कि परम्परा को संजोए रखने के साथ-साथ नवाचार को भी अपनाया जा सकता है, जिससे भविष्य की पीढ़ी को सांस्कृतिक धरोहर की गहरी समझ मिलेगी।

Frequently Asked Questions

दुर्गाअष्टमी किस दिन मनाया गया?

दुर्गाअष्टमी 2025 को 30 सितंबर (मंगलवार) को सरस्वती विद्या मंडिर इंटर कॉलेज में आयोजित किया गया, जहाँ विशेष रूप से महागौरी की पूजा की गई।

कन्या पूजन का महत्व क्या है?

कन्या पूजन का उद्देश्य युवा लड़कियों को सम्मानित करना और समाज में उनकी भूमिका को उजागर करना है; इसे शुद्ध शक्ति और सृजनात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।

इस साल के कार्यक्रम में कितने लोग भाग लिये?

कुल मिलाकर लगभग 4,325 व्यक्ति – छात्रों, अभिभावकों और बाहरी दर्शकों ने भाग लिया, जिसमें 2,345 छात्र‑सहभागी और 780 अभिभावक विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

भविष्य में कौन‑से नए पहल की योजना है?

आगामी दशहरा में ‘हरित दशहरा’ का लक्ष्य है, जिसमें रावण दहन को पर्यावरण‑मित्र तरीके से किया जाएगा, और डिजिटल पंडाल एवं वर्चुअल आरती लाइवस्ट्रीम जैसी तकनीकी नवाचार भी जोड़े जाएंगे।

स्थानीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ता है?

पंडाल निर्माण, सजावट, संगीत वाद्ययंत्र और खानपान से लगभग 5 लाख रुपये का अतिरिक्त व्यावसायिक राजस्व आया, जिससे छोटे‑बड़े स्थानीय व्यापारी लाभान्वित हुए।