Hybrid cars क्या हैं? फायदें और सही चयन कैसे करें
अगर आप कार खरीदना चाहते हैं लेकिन पेट्रोल‑डिजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, तो Hybrid cars पर ध्यान देना ज़्यादा समझदारी है। ये कारें दो पावर स्रोतों – गैसोलीन/डिजल इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर – को साथ‑साथ इस्तेमाल करती हैं। इसका मतलब है कि जब आप city traffic में चलाते हैं तो मोटर कम से कम ईंधन इस्तेमाल करती है, और हाईवे पर तेज़ी से चलने के लिए इंजन मदद करता है। सरल शब्दों में, आप पेट्रोल या डिजल पर कम खर्च कर रहे हैं, साथ ही पर्यावरण को भी मदद मिल रही है।
Hybrid cars के प्रमुख प्रकार
हाइब्रिड कारें दो प्रमुख तकनीक पर आधारित होती हैं – Parallel Hybrid और Series Hybrid। Parallel में इंजन और मोटर दोनों एक साथ टायर को शक्ति देते हैं, इसलिए acceleration बेहतर रहता है। Series में केवल मोटर ही टायर चलाती है, जबकि इंजन बैटरियों को चार्ज करता है – यह प्रकार अक्सर प्लग‑इन हाइब्रिड में देखा जाता है। इनके अलावा, कुछ कारें ‘मild‑Hybrid’ कहलाती हैं जिनमें छोटा इलेक्ट्रिक मोटर मौजूद होता है, जो स्टार्ट‑स्टॉप और करीबी‑रेंज मदद देता है।
Hybrid cars चुनते समय क्या देखना चाहिए?
सबसे पहले, अपनी ड्राइविंग पैटर्न समझें। अगर आप रोज‑रोज़ शहर में ट्रैफ़िक जाम में फँसते हैं, तो mild‑Hybrid या प्लग‑इन हाइब्रिड बेहतर रहेगा क्योंकि इन्हें अक्सर रीज़ेनरेटिव ब्रेकिंग से बैटरी चार्ज होती है। दूसरी ओर, अगर आप अक्सर हाईवे पर लंबी दूरी तय करते हैं, तो Parallel Hybrid जैसी कारें ज्यादा उपयुक्त होंगी।
दूसरा महत्वपूर्ण पहलू – बैटरी लाइफ़ और वारंटी। अधिकांश हाइब्रिड कारें 8‑10 साल या 1,00,000‑2,00,000 किमी तक की वारंटी देती हैं। वारंटी अवधि के बाद बैटरी बदलने का खर्चा बहुत महँगा हो सकता है, इसलिए इसे भी देखना ज़रूरी है।
तीसरा, सर्विस नेटवर्क। हाइब्रिड कार को नियमित स्टेटस चेक की जरूरत होती है, खासकर ब्रीडिंग सिस्टम और इलेक्ट्रिक पार्ट्स की। इसलिए, अपने नजदीकी शहर में ऐसे डीलर या सर्विस सेंटर की मौजूदगी देखें जहाँ हाइब्रिड टेक्निशियन उपलब्ध हों।
अब बात करते हैं कुछ पॉपुलर मॉडल की। भारत में टाटा मोटर्स ने Tata Nexon EV‑Hybrid लॉन्च किया है, जो पेट्रोल इंजन के साथ 30 किमी इलेक्ट्रिक रेंज देता है। होंडा के Honda Jazz Hybrid और टोयोटा के Prius भी क्लासिक विकल्प हैं, जो विश्वसनीयता और ईंधन बचत दोनों में आगे हैं।
रख‑रखाव की बात करें तो हाइब्रिड कारें पेट्रोल कारों से ज्यादा महँगी नहीं होतीं। नियमित तेल बदलना, ब्रेक पैड चेक करना और बैटरी कूलिंग सिस्टम की सफाई जरूरी है। खास बात यह है कि हाइब्रिड में ब्रेक पैड जल्दी घिसता नहीं क्योंकि रेज़ेनरेटिव ब्रेकिंग ऊर्जा को बैटरी में स्टोर करता है।
काफी लोगों को ढीला‑ढाला लगता है कि हाइब्रिड पर फोकस सिर्फ ईंधन बचत है, पर असली फायदा तो फ्युएल इकोनोमी के साथ-साथ शोर कम होना और ड्राइविंग का स्मूदनेस है। जब आप मोटर‑सहायता वाले मोड में चलाते हैं तो इंजन की आवाज़ बहुत घट जाती है, जिससे कम शोर के साथ आरामदायक सफ़र मिलती है।
अंत में, अगर आप कार की कीमत को लेकर चिंतित हैं, तो सरकारी हाइब्रिड सब्सिडी या टैक्स रिवाइटल बारे में जाँच करें। कई राज्यों में इको‑फ्रेंडली वाहनों पर रजिस्ट्रेशन टैक्स में छूट मिलती है, जिससे कुल मिलाकर लागत कम हो जाती है।
तो, अगर आप पेट्रोल‑डिजल पर खर्च घटाना चाहते हैं और साथ ही पर्यावरण को थोड़ा‑बहुत बचाना चाहते हैं, तो Hybrid cars ज़रूर देखें। सही मॉडल, उचित मेंटेनेंस और स्थानीय सर्विस सपोर्ट से आप लंबी दूरी पर भी भरोसेमंद ड्राइव का आनंद ले सकते हैं।