30 सितंबर को सरस्वती विद्या मंडिर में दुर्गाअष्टमी‑महागौरी पूजा, कन्या पूजन और दशहरा समारोह आयोजित, हजारों लोगों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया.
0 टिप्पणिदशहरा हर साल भारत में बड़े जोश‑जोश से मनाया जाता है, लेकिन हर बार अलग‑अलग अंदाज़ में। 2025 में दशहरा 2 अक्टूबर को आएगा, इसलिए अभी से योजना बनाना फायदेमंद रहेगा। इस लेख में हम दशहरा की पृष्ठभूमि, प्रमुख परम्पराएँ और आसान टिप्स बताएँगे ताकि आप अपना त्यौहार बिना झंझट के मनाएँ।
दशहरा का मूल उद्देश्य रावण पर राम की जीत को याद करना है। इस दिन अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक माना जाता है। पुरानी कथा के अनुसार, राम ने रावण का सिर फेंक कर बुराई को हटाया, और यही जीत को लोग जश्न‑जहोरे के साथ मनाते हैं। भारत के कई हिस्सों में इस दिन पत्ताजी के रूप में रावण की पुतुली जलाते हैं, जबकि कुछ जगहों पर रामलीला का मंचन होता है।
1. तारीख निश्चित करें – 2025 में दशहरा 2 अक्टूबर को है, इसलिए इस दिन को कैलेंडर में नोट कर लें।
2. पुतली तैयार करें – अगर आप घर में रावण की पुतली बनाना चाहते हैं, तो कागज़, लकड़ी और रंगीन कपड़े रखें। आसान ट्यूटोरियल ऑनलाइन मिलते हैं।
3. सुरक्षा का ध्यान रखें – अगर आप आतिशबाज़ी या फ़ायरक्रैकिंग करने वाले हैं, तो बालकनी या खुली जगह पर रखें और बचाव उपकरण पास रखें।
4. भोजन की योजना बनाएं – खासकर कुरकुरी पूड़ी, आलू के पराठे और मीठे लड्डू। पहले से सामग्री खरीद लें, ताकि अंत में भीड़ से बचा जा सके।
5. परिवार और दोस्त मिलाएँ – दशहरा का मज़ा मिल‑जुल कर ही होता है। अगर आप सामाजिक दूरी रखना चाहते हैं, तो छोटे‑छोटे समूह बनाकर शाम को पुतली फेंकें।
अगर आप शहर के बड़े मेले में जाना चाहते हैं, तो भीड़भाड़ वाले स्थानों की जानकारी पहले से ले लें। सबसे पहले ट्रेन या मेट्रो का समय देख ले, ताकि समय पर पहुँच सकें। दोपहर के बाद अक्सर जाम कम हो जाता है, इसलिए देर से जाना फायदेमंद हो सकता है।
दशहरा के दौरान कई जगहों पर सांस्कृतिक प्रोग्राम होते हैं – नृत्य, संगीत और नाटक। इनका शेड्यूल अक्सर सरकारी वेबसाइट या स्थानीय समाचार में प्रकाशित होता है। आप अपने मोबाइल में नोटिफिकेशन सेट करके अपडेट रह सकते हैं।
घर में मनाते समय, बच्चों के साथ रावण के पाँच सिर, दस हाथ और 100 आँखों की कहानी सुनाएँ। इससे इतिहास भी सीखेंगे और त्यौहार की रोचकता भी बढ़ेगी। कथा के बाद छोटे‑छोटे प्रश्न पूछें – जैसे “रावण के कितने सिर थे?” – इससे बच्चों की समझ भी गहरी होगी।
ध्यान रहे, दशहरा का असली मकसद बुराई पर जीत का जश्न है, इसलिए नकारात्मक बातें जैसे फसल का नुकसान या काम में बाधा पर नहीं फोकस करें। सकारात्मक ऊर्जा और अच्छे इरादे के साथ त्योहार मनाएँ, तभी असली खुशी मिलेगी।
अंत में, अगर आप सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरें या वीडियो शेयर करना चाहते हैं, तो #दशहरा2025 हैशटैग का इस्तेमाल करें। इससे आप दूसरों से जुड़ पाएँगे और कुछ नया सीखेंगे। बस ध्यान रखें, कोई भी व्यक्तिगत जानकारी या लोकेशन सार्वजनिक न करें।
तो तैयार हो जाइए, अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस दशहरा को यादगार बनाइए। छोटी‑छोटी तैयारियों से बड़ी खुशी मिलती है – बस आज़माएँ और मज़ा लूटें!
30 सितंबर को सरस्वती विद्या मंडिर में दुर्गाअष्टमी‑महागौरी पूजा, कन्या पूजन और दशहरा समारोह आयोजित, हजारों लोगों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया.
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